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भारत के झंडे का डिजाइन किसने बनाया था

 

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हर देश की पहचान उसके झंडे से की जाती है और हर देश का झंडा अलग अलग रंग अलग अलग अलग तरह के होते हैं आज हम बात करने वाले है अपने भारत के झंडे (तिरंगे )के बारे में हम अपने देश के झंडे तिरंगे के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इसमें तीन प्रकार के रंग होते हैं केसरी सफेद और हरा झंडा हर देश की शान माना जाता है पर मेरा सवाल आपसे यह है क्या आपको पता है भारत के झंडे का डिजाइन किसने डिजाइन किया था |

भारत के झंडे का डिजाइन किसने किया था🤔🤔


भारत का झंडे का डिजाइन पिंगली वेंकैया ने किया था सन 1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बाँध दे। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर नेशनल फ़्लैग मिशन का गठन किया। वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सलाह ली और गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँधने का संकेत बने। पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है। राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे। 

Pingali venkayya


अखिल भारतीय संस्कृत कांग्रेस ने सन् 1924 में ध्वज में केसरिया रंग और बीच में गदा डालने की सलाह इस तर्क के साथ दी कि यह हिंदुओं का प्रतीक है। फिर इसी क्रम में किसी ने गेरुआ रंग डालने का विचार इस तर्क के साथ दिया कि ये हिन्दू, मुसलमान और सिख तीनों धर्म को व्यक्त करता है। काफ़ी तर्क वितर्क के बाद भी जब सब एकमत नहीं हो पाए तो सन् 1931 में अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को मूर्त रूप देने के लिए 7 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। इसी साल कराची कांग्रेस कमेटी की बैठक में पिंगली वेंकैया द्वारा तैयार ध्वज, जिसमें केसरिया, श्वेत और हरे रंग के साथ केंद्र में अशोक चक्र स्थित था, को सहमति मिल गई। इसी ध्वज के तले आज़ादी के परवानों ने कई आंदोलन किए और 1947 में अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।



पिंगली वेंकैया

पिंगली वेंकैया जी का जन्म 2 अगस्त कोआंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेन्नुमारु नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम हनुमंतारायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था और यह तेलुगु ब्राह्मण कुल नियोगी से संबद्ध थे।वेंकैया कई विषयों के ज्ञाता थे, उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था। वह हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे। वेंकैया ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था। यहीं यह गांधी जी के संपर्क में आये और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए।

पिंगली वेंकैया की मृत्यु

पिंगली वेंकैया की मृत्यु 4 जुलाई 1963 में हुई थी

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