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सबसे कम उम्र में फांसी चढ़ने वाले 'खुदीराम बोस' को जानें थोड़ा करीब से...

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सबसे कम उम्र में फांसी


साल 1908 में 11 अगस्त को यह महान क्रांतिकारी शहीद हो गए थे, जब इनकी उम्र 18 साल 8 महीने 8 दिन थी तब इन्हें फांसी दे दी गई थी खुदीराम बोस का जन्म 13 दिसंबर 1889 में बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ था इनके माता का नाम- लक्ष्मी प्रिया देवी था खुदीराम बोस को देश आजाद करने के लिए मन में ऐसी आग लगी थी की उन्होंने नौवीं कक्षा में अपनी पढ़ाई छोड़ कर देश आजाद करने के आंदोलन में कूद पड़े खुदीराम के अंदर गुलामी को उखाड़ने की आग धधक रही थी और 6 दिसम्बर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की ट्रेन पर बम फेंक दिया, गवर्नर बच गया। इसके बाद अंग्रेज उनको तलाशते रहे और उसी साल में उन्होंने दो अन्य अंग्रेज अधिकारियों पर भी बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले। इसी प्रकार खुदीराम बोस ने क्या अंग्रेजी बम का हमला किया पर वह कई बार असफल रहे एक बार खुद ही राम जी और उनका एक साथी बम हमला कर रहे थे तब उनके पीछे अंग्रेजी पुलिस पड़ गई और उन्हें रेलवे स्टेशन पर पकड़ लिया गया खुदीराम बॉस के साथी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम पकड़े गये और उनको 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी पर लटका दिया गया। कई इतिहासकारों के अनुसार खुदीराम बोस सबसे कम उम्र फांसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी थे।


1947 के बाद तक कुल कितने लोगों को फांसी दी गई है ?🤔🤔

हमारे भारत में आजादी के बाद कुल 61 लोगों को फांसी दी गई है एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में लगभग हर साल,130 लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है पर इस पर अमल नहीं लाया जाता वजह है भारत में सजा माफी की लंबी प्रक्रिया का चलना

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